कबीरधाम

राज्योत्सव रजत जयंती के दूसरे दिन छाया छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत का जादू, प्रसिद्ध गायक अनुराग शर्मा ने मधुर अवाज से मोहा दर्शकों का मन

राज्योत्सव रजत जयंती के दूसरे दिन छाया छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत का जादू, प्रसिद्ध गायक अनुराग शर्मा ने मधुर अवाज से मोहा दर्शकों का मन

स्थानीय कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति देकर मंच का शमां बांधा

कवर्धा,. छत्तीसगढ़ राज्योत्सव रजत जयंती समारोह के दूसरे दिन का सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम संगीत और लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा। जिला मुख्यालय कवर्धा स्थित आचार्य पंथ श्री गृथमुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मैदान में आयोजित भव्य कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक श्री अनुराग शर्मा ने अपनी मधुर और ऊर्जावान प्रस्तुति से पूरे वातावरण को संगीतमय बना दिया। उनकी एक के बाद एक सुरीली प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्री अनुराग शर्मा ने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति, परंपरा और आधुनिक संगीत का अनोखा संगम पेश करते हुए कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। जैसे ही उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीतों की श्रृंखला शुरू की, मैदान में मौजूद दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साह के साथ झूम उठे। हर गीत के साथ दर्शकों के उमंग और उत्साह में नई ऊर्जा का संचार होता गया। श्री अनुराग शर्मा ने अपने सुरीले स्वर और मधुर धुनों से ऐसा वातावरण बनाया कि दर्शक देर रात तक झूमते रहे।
श्री अनुराग शर्मा का संगीत छत्तीसगढ़ी लोक संगीत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके द्वारा गाए गए लोकप्रिय गीत जैसे “गीत कोनों गांहू गोरी”, “तोर सुरता मा”, मेरा भोला है भंडारी और जय जय जय बजरंगबली ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। इन गीतों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोककला और जीवनशैली की सजीव झलक मिलती है। उनकी आवाज़ की सहजता, मिठास और भावनात्मक गहराई हर आयु वर्ग के श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। राज्योत्सव की इस संध्या में जब श्री शर्मा ने मंच संभाला, तो पूरा मैदान तालियों की गूंज से भर गया। जैसे-जैसे उन्होंने एक के बाद एक गीत प्रस्तुत किए, दर्शक मंत्रमुग्ध होकर थिरकते और झूमते नज़र आए। उनकी गायकी ने लोकसंगीत की आत्मा को आधुनिक संगीत के साथ जोड़ते हुए एक अनोखा संगम रचा।
कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ी लोकगीतों के साथ-साथ हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों की भी मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गईं। उनकी आवाज़ में छत्तीसगढ़ की मिट्टी की महक और लोक धुनों की मिठास झलक रही थी। दर्शकों ने मोबाइल की रोशनी में तालमेल बिठाकर वातावरण को उत्सवमय बना दिया। राज्योत्सव की इस संगीतमय संध्या में नगर पालिका अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश चंद्रवंशी, कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा, जिला पंचायत सीईओ श्री अजय कुमार त्रिपाठी सहित जिले के जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण, जनप्रतिनिधि, नगरवासी एवं बड़ी संख्या में युवक-युवतियाँ उपस्थित रहे। सभी ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने का एक सुंदर प्रयास भी हैं। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में संगीत के साथ लोककला, नृत्य और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। राज्योत्सव की इस संध्या ने कवर्धा के लोगों को एक बार फिर यह एहसास दिलाया कि छत्तीसगढ़ सिर्फ “धान का कटोरा” नहीं, बल्कि संगीत, संस्कृति और परंपरा का भी अनुपम संगम है।

*पारंपरिक बांसगीत की प्रस्तुति से मंच पर छत्तीसगढ़ का समृद्ध विरासत हुआ जीवंत*

यादव समाज का पारंपरिक बांस गीत जो अब बहुधा सुनाई नहीं देता है उसकी जीवंत प्रस्तुति स्थानीय कलाकारों ने राज्योत्सव के मंच पर दी। जय बाबा भोरमदेव बास गीत पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ कलाकारों की संगत से श्रोताओं को पीढ़ियों से चले आ रहे कला रूप को सुनने और जानने का मौका मिला।

*नरसिंह अवतार की नृत्यनाटिका ने दर्शकों को किया रोमांचित*

राज्योत्सव के दूसरे दिन कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राओं द्वारा नरसिंह अवतार की रोमांचक प्रस्तुति दी। नरसिंह अवतार धर्म और न्याय का प्रतीक है और माना जाता है। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने और अहंकारी दैत्य हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए यह अवतार लिया था। कलाकारों ने इस पूरे प्रसंग को मंच पर अपने नृत्य और अभिनय कौशल से शानदार तरीके से प्रदर्शित किया। गीत संगीत से सजे इस कार्यक्रम ने दर्शकों मंत्रमुग्ध कर दिया।

*“पियर पियर तोर जावरा” और गौरा–गौरी से भक्ति और लोक संस्कृति में डूबा राज्योत्सव मंच*

राज्योत्सव के दूसरे दिन बोड़ला के लोक कलाकार चुम्मन साहू ने भावपूर्ण जस गीत “पियर पियर तोर जावरा” और गौर-गौरी गीत की प्रस्तुति देकर मंच को भक्ति और लोक रंग से भर दिया। उनकी मधुर आवाज़ में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, आस्था और परंपरा की गूंज सुनाई दी। दर्शक गीतों की लय और भाव में ऐसे खो गए कि पूरा परिसर श्रद्धा और भक्ति के वातावरण से गूंज उठा।

*सरगम टीचर्स ग्रुप श्री महेश सिंह ठाकुर एवं साथी की फिल्मी गीतों से महका शमा*

राज्योत्सव के दूसरे दिन सरगम टीचर्स ग्रुप के श्री महेश सिंह ठाकुर एवं साथियों ने अपनी मधुर आवाज़ से माहौल को संगीत के रंगों में रंग दिया। “मेरी जिंदगानी है मेरी महबूबा”, “जाने जा ढूंढता फिर रहा” जैसे मशहूर गीतों की प्रस्तुति पर दर्शक झूम उठे। उनकी मधुर आवाज़ और सजीव प्रस्तुति ने श्रोताओं के मन को उस दौर में पहुँचा दिया जहाँ गीत सिर्फ सुने नहीं जाते, महसूस किए जाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button