संस्कार, संस्कृति और समर्पण की मिसाल बनी बटुक शिक्षा शोभायात्रा — उपनयन संस्कार में दिखी गौरवशाली परंपरा की भव्यता
संस्कार, संस्कृति और समर्पण की मिसाल बनी बटुक शिक्षा शोभायात्रा — उपनयन संस्कार में दिखी गौरवशाली परंपरा की भव्यता
कवर्धा ; धर्म, संस्कृति और समाज की जड़ों से जुड़े एक अद्भुत आयोजन ने सोमवार को कवर्धा को आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया। विप्र समाज द्वारा आयोजित व्रतबंध संस्कार और वार्षिक सम्मेलन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि यह आयोजन सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का भी माध्यम बन गया।
6 अप्रैल को चैत्र शुक्ल नवमी से प्रारंभ हुए इस दो दिवसीय आयोजन में विप्र समाज के लोगों ने पूरी निष्ठा और परंपरा के साथ भाग लिया। नव निर्मित विप्र भवन में मंडप आच्छादन, वास्तु पूजन, हरिद्रालेपन, शिक्षा दीक्षा और मातृका पूजन जैसे मंगल कार्य विधिपूर्वक संपन्न हुए। इस आध्यात्मिक वातावरण में नन्हे बाल ब्राह्मणों की आंखों में तेज और भावी आचार्य बनने का उत्साह साफ झलक रहा था।
उपनयन संस्कार में बंधे 14 बटुक, गुरुजनों ने दी वेदपाठ की दीक्षा
7 अप्रैल सोमवार को चैत्र शुक्ल दशमी की सुबह विधिपूर्वक व्रतबंध (जनेऊ) संस्कार संपन्न हुआ। इस आयोजन की विशेष गरिमा तब और बढ़ गई जब दंडी स्वामी मज्ज्योतिरानंद सरस्वती का सान्निध्य मिला। उन्होंने बाल ब्राह्मणों को धर्म, वेद, तप और अनुशासन की शिक्षा दी। आयोजन की अध्यक्षता सांसद संतोष पांडेय ने की। वहीं, पंडरिया विधायक भावना बोहरा, रश्मि विजय शर्मा और रेखा संतोष पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुईं।
संस्कारों का संचालन पं. हरिप्रसाद शुक्ल, पं. ओंकार प्रसाद दुबे और पं. रामप्रसाद दुबे ने पूर्ण वैदिक विधि-विधान से किया। इस अवसर पर 14 बाल ब्राह्मणों ने उपनयन संस्कार धारण कर वैदिक अध्ययन की ओर पहला पग रखा। इनमें विश्वनाथ तिवारी, साकेत शुक्ल, तुषार तिवारी, हर्ष दुबे, नामिस पांडेय, नैतिक पांडेय, विजय दुबे (कवर्धा), विजय दुबे (चारभाठा), सानिध्य तिवारी, मानस दुबे, प्रिंस मिश्रा, अनमोल उपाध्याय, विवान मिश्रा और राहुल तिवारी शामिल हैं।
भव्य शोभायात्रा में बटुकों के साथ गूंजे वैदिक मंत्र, पूरे शहर ने किया स्वागत
सांझ 4 बजे मां महामाया मंदिर परिसर से शुरू हुई बटुक शिक्षा शोभायात्रा ने पूरे शहर को धर्ममय कर दिया। नवदीक्षित बटुक अपने परिजनों, समाजजनों और बैंड-बाजों के साथ जब शोभायात्रा में निकले तो मानो शहर की गलियां भी संस्कारों के गीत गा उठीं। शोभायात्रा में वैदिक मंत्रोच्चार, जयघोष, संस्कृत श्लोकों की गूंज और पारंपरिक वेशभूषा में सजे बटुकों की मौजूदगी ने जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सम्मेलन में हुए जनप्रतिनिधियों का सम्मान
इस आयोजन के माध्यम से समाज ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में निर्वाचित अपने प्रतिनिधियों का भी सम्मान किया। समाज के उन चेहरों को मंच पर आमंत्रित कर उनका अभिनंदन किया गया जिन्होंने विप्र समाज और स्थानीय प्रशासन के बीच सेतु की भूमिका निभाई। इनमें गणेश तिवारी, रोशन दुबे, पल्लवी तिवारी, गरिमा मिश्रा, सुषमा सोनू उपाध्याय, राजू पांडेय, दुर्गेश अवस्थी, बिन्नू तिवारी और ममता शुक्ला जैसे नाम शामिल रहे।
कार्यक्रम की सफलता में लगा समाज का समर्पण
इस गरिमामय आयोजन को सफल बनाने में विप्र समाज के सैकड़ों सदस्यों ने अपना योगदान दिया। वरिष्ठ सदस्य टी. आर. तिवारी के मार्गदर्शन और अध्यक्ष बंटी मनीष तिवारी के नेतृत्व में कार्यक्रम का समन्वय किया गया। सचिव सुरेश शर्मा, उपाध्यक्ष वेद नारायण तिवारी व उमंग पांडेय, कोषाध्यक्ष सिद्धु तिवारी, आयोजन समिति अध्यक्ष विनोद तिवारी और युवा अध्यक्ष डॉ. आनंद मिश्रा की भूमिका प्रमुख रही।
वहीं प्रमोद शुक्ला, अश्विनी पांडेय, राजेश पांडेय, चंद्रशेखर शर्मा, संजय मिश्रा, कीर्ति दत्त तिवारी, निर्मल द्विवेदी, नंद कुमार शर्मा, मधु तिवारी, विजय शर्मा, प्रभाकर शुक्ला, हरिप्रसाद शुक्ला, बिसाहू प्रसाद पांडेय, श्रीकांत उपाध्याय, अशोक शर्मा, दिलीप तिवारी, बसंत शर्मा, टी. पी. दूबे, कीर्तन शुक्ला, संतोष चौबे, बिन्नू तिवारी, पं. विष्णु शर्मा, रविन्द्र शुक्ला, संतोष शुक्ला, कमलेश द्विवेदी, उमेश पाठक, विपिन शर्मा और भावेश मिश्रा ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
संस्कारों की लौ को जला गया आयोजन
यह आयोजन न केवल एक परंपरा का निर्वहन था, बल्कि यह समाज के उस स्वरूप को प्रस्तुत करता है जिसमें ज्ञान, अनुशासन, संस्कार और सामाजिक समरसता का गहरा भाव छुपा होता है। बटुकों की दीक्षा केवल व्यक्तिगत बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का विस्तार है।
कवर्धा की धरती पर जब संस्कारों की यह दीपशिखा प्रज्वलित हुई, तो पूरा शहर उसकी रोशनी में नहाया नजर आया। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया, जहां परंपरा आधुनिकता से टकराती नहीं, बल्कि उसे दिशा देती है।
संस्कारों की इस धारा ने साबित कर दिया कि जब समाज एकजुट होता है, तो वह इतिहास रचता है। कवर्धा में यह इतिहास बन चुका है।